माँ शैलपुत्री

नवरात्रि हिंदुओं का एक प्रमुख पर्व है। नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘नौ रातें’। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवाँ दिन दशहरा के नाम से प्रसिद्ध है। नवरात्रि वर्ष में चार बार आता है। माघ, चैत्र, आषाढ, …

महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् – अयि गिरिनन्दिनि (Mahishasura Mardini Stotram – Aigiri Nandini)

महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् – अयि गिरिनन्दिनि  (Mahishasura Mardini Stotram – Aigiri Nandini)  अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुतेगिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते ।भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृतेजय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १ ॥ सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरतेत्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरतेदनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणि सिन्धुसुतेजय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २ ॥ अयि जगदम्ब मदम्ब कदम्ब वनप्रियवासिनि हासरतेशिखरि …

शैलपुत्री  • ब्रह्मचारिणी  • चन्द्रघंटा  • कुष्मांडा  • स्कंधमाता  • कात्यायिनी  • कालरात्रि  • महागौरी  • सिद्धिदात्रीनवार्ण मंत्र:॥ॐ एं ह्रीं क्लीं चामुडायै विच्चे॥

शैलपुत्री  • ब्रह्मचारिणी  • चन्द्रघंटा  • कुष्मांडा  • स्कंधमाता  • कात्यायिनी  • कालरात्रि  • महागौरी  • सिद्धिदात्रीनवार्ण मंत्र:॥ॐ एं ह्रीं क्लीं चामुडायै विच्चे॥  1. शैलपुत्री- सम्पूर्ण जड़ पदार्थ अथवा अपरा प्रकृति से उत्पन्न यह भगवती का पहला स्वरूप हैं। मिट्टी(पत्थर), जल, वायु, अग्नि व आकाश इन पंच तत्वों पर ही निर्भर रहने वाले जीव शैल पुत्री का प्रथम रूप हैं। इस पूजन का अर्थ है प्रत्येक जड़ पदार्थ अर्थात कण-कण में परमात्मा के प्रकटीकरण का …

9 माताओं का नाम क्या है

9 माताओं का नाम क्या है? इन नौं दिनों तक भक्त मां दुर्गा के नौं स्वरुपों का पूजन करते हैं। प्रथम दिन मां शैलपुत्री, द्वितीय मां ब्रह्मचारिणी, चतुर्थ मां चंद्रघंटा, पंचम स्कंद माता, षष्टम मां कात्यायनी, सप्तम मां कालरात्रि, अष्टम मां महागौरी, नवम मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति …

शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर से, इस शुभ मुहूर्त में करें कलश स्थापना

शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर से, इस शुभ मुहूर्त में करें कलश स्थापना यह नौ दिनों का एक त्योहार है जो मां के शक्तिस्वरूप की आराधना करते हुए मनाया जाता है। पूरे भारत में नवरात्रि का पहला दिन बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। शारदीय नवरात्रि या महा नवरात्रि  अश्विन महीने में आती …

वेद का सामान्य परिचय*

#ऋग्वेद का सामान्य परिचय* (१) *ऋग्वेद की शाखा :-* महर्षि #पतञ्जलि के अनुसार ऋग्वेद की २१ #शाखाएँ हैं, किन्तु #पाँच ही शाखाओं के नाम उपलब्ध होते हैं :— (१) #शाकल (२) #बाष्कल (३) #आश्वलायन (४) #शांखायन (५) #माण्डूकायन संप्रति केवल शाकल शाखा ही उपलब्ध है ! ऋग्वेद के #ब्राह्मण (१) #ऐतरेय ब्राह्मण (२) #शांखायन ब्राह्मण …

श्री गणेश पंच रत्न स्तोत्र!

 मुदा करात्त मोदकं सदा विमुक्ति साधकम् ।कलाधरावतंसकं विलासिलोक रक्षकम् ।अनायकैक नायकं विनाशितेभ दैत्यकम् ।नताशुभाशु नाशकं नमामि तं विनायकम् ॥ 1 ॥ नतेतराति भीकरं नवोदितार्क भास्वरम् ।नमत्सुरारि निर्जरं नताधिकापदुद्ढरम् ।सुरेश्वरं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरम् ।महेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरन्तरम् ॥ 2 ॥ समस्त लोक शङ्करं निरस्त दैत्य कुञ्जरम् ।दरेतरोदरं वरं वरेभ वक्त्रमक्षरम् ।कृपाकरं क्षमाकरं मुदाकरं यशस्करम् ।मनस्करं नमस्कृतां …

Chanakya Slokas (चाणक्य नीति श्लोक)

Chanakya Slokas (चाणक्य नीति श्लोक) कश्चित् कस्यचिन्मित्रं, न कश्चित् कस्यचित् रिपु:। अर्थतस्तु निबध्यन्ते, मित्राणि रिपवस्तथा ॥  भावार्थ : न कोई किसी का मित्र है और न ही शत्रु, कार्यवश ही लोग मित्र और शत्रु बनते हैं । मूर्खशिष्योपदेशेन दुष्टास्त्रीभरणेन च। दुःखितैः सम्प्रयोगेण पण्डितोऽप्यवसीदति॥  भावार्थ : मूर्ख शिष्य को पढ़ाने पर , दुष्ट स्त्री के साथ जीवन बिताने पर तथा दुःखियों- …

Sanskrit Slokas – संस्कृत श्लोक

विद्या ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम्। पात्रत्वाद्धनमाप्नोति धनाद्धर्मं ततः सुखम्॥  भावार्थ : विद्या से विनय (नम्रता) आती है, विनय से पात्रता (सजनता) आती है पात्रता से धन की प्राप्ति होती है, धन से धर्म और धर्म से सुख की प्राप्ति होती है । अलसस्य कुतो विद्या अविद्यस्य कुतो धनम् । अधनस्य कुतो मित्रममित्रस्य कुतः सुखम् ॥  …

 ‘दर्शन’ शब्द का अर्थ-भारतीय दर्शन का विषय

 ‘दर्शन’ शब्द का अर्थ पाणिनीय व्याकरण के अनुसार ‘दर्शन’ शब्द, ‘दृशिर् प्रेक्षणे’ धातु से ल्युट् प्रत्यय करने से निष्पन्न होता है। अतएव दर्शन शब्द का अर्थ दृष्टि या देखना, ‘जिसके द्वारा देखा जाय’ या ‘जिसमें देखा जाय’ होगा। दर्शन शब्द का शब्दार्थ केवल देखना या सामान्य देखना ही नहीं है। इसीलिए पाणिनि ने धात्वर्थ में …