द्वितीयं ब्रह्मचारिणी

द्वितीयं ब्रह्मचारिणी
देवी का दूसरा स्वरूप‘ब्रह्मचारिणी
सच्चिदानन्दमयी ब्रह्मस्वरूपा देवी
आज नवरात्र के दूसरे दिन देवी के ‘ब्रह्मचारिणी’ रूप की पूजा-अर्चनाकी जा रही है।
देवी के इस दूसरे ‘ब्रह्मचारिणी’ स्वरूप को प्रकृति के सच्चिदानन्दमय ब्रह्मस्वरूप के रूप में निरूपित किया जा सकता है। ऋग्वेद के ‘देवीसूक्त’ में अम्भृण ऋषि की पुत्री वाग्देवी ब्रह्मस्वरूपा होकरसमस्त जगत को ज्ञानमय बनाती है और रुद्रबाण से अज्ञान का विनाश करती है –
 
“अहं रुद्राय धनुरा तनोमि
ब्रह्मद्विषे शरवे हन्तवा उ।
अहं जनाय समदं कृष्णोम्यहं
द्यावापृथिवी आ विवेश।।”
– (ऋ.10.125.6)