देवी का आठवां स्वरूप : ‘महागौरी’

देवी का आठवां स्वरूप : ‘महागौरी’

श्री समृद्धि व सौभाग्य प्रदायिनी देवी 

‘महागौरी’ ‘प्रकृति’ परमेश्वरी का सौम्य, सात्विक और आह्लादक स्वरूप है। सत्व ‘प्रकृति’ से ही सृष्टि का संरक्षण और लोक कल्याण होता है।  हिमालय पर्वत पर इन्द्र आदि देवतागण जिस देवी की स्तुति कर रहे थे वह भी ‘महागौरी’ देवी का ही स्वरूप था। इसलिए ‘सत्यं शिवं सुन्दरम्’ को व्यक्त करने वाली सुख समृद्धि तथा सौभाग्य प्रदायिनी इसी लोककल्याणी महाशक्ति की पूजा का दुर्गाष्टमी के दिन विशेष अनुष्ठान होता है।
 
दुर्गा देवी के नौ रूपों में आठवीं शक्ति ‘महागौरी’ स्वरूपा हैं। नवरात्र पूजा के आठवें दिन ‘महागौरी’ की पूजा अर्चना की जाती है। ‘महागौरी’ रूप में देवी करूणामयी, स्नेहमयी, शांत और सौम्य दिखती हैं। महागौरी की चार भुजाएं हैं उनकी दायीं भुजा अभय मुद्रा में हैं और नीचे वाली भुजा में त्रिशूल शोभायमान है। बायीं भुजा में डमरू बजा रही है और नीचे वाली भुजा से देवी गौरी भक्तों को वरदान देती हैं।
 
‘देवी गौरी के अंश से ही कौशिकी का जन्म हुआ जिसने शुम्भ निशुम्भ के प्रकोप से देवताओं को मुक्त कराया। यह देवी गौरी शिव की पत्नी हैं। यही शिवा और माहेश्वरी के नाम से भी पूजित होती हैं।‘दुर्गासप्तशती’ के अनुसार गौरी के शरीर से प्रकट होने वाली सत्व ‘प्रकृति’ ने पूर्व काल में शुम्भ नामक दैत्य का संहार किया और यही साक्षात् सरस्वती भी है-
 
“गौरी देहात्समुद्भूता या सत्वैकगुणाश्रया।
साक्षात्सरवती प्रोक्ता शुम्भासुर निबर्हिणी।।”
 
हिमालय पर्वत पर इन्द्र आदि देवतागण जिस देवी की स्तुति कर रहे थे वह भी ‘महागौरी’ देवी का ही स्वरूप था। इसलिए ‘सत्यं शिवं सुन्दरम्’ को व्यक्त करने वाली सुख समृद्धि तथा सौभाग्य प्रदायिनी इसी लोककल्याणी महाशक्ति की पूजा का दुर्गाष्टमी के दिन विशेष अनुष्ठान होता है। देवी के इसी रूप की प्रार्थना करते हुए देव और ऋषिगण कहते हैं-
 
“सर्वमंगल मांगल्ये, शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥”

माँ महागौरी की अराधना से भक्तों के त्रिविध ताप और सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं तथा देवी का भक्त जीवन में पवित्र और अक्षय पुण्यों का फल प्राप्त करता है। जो स्त्री इस देवी की पूजा भक्ति भाव सहित करती हैं उनके सुहाग की रक्षा देवी स्वयं करती हैं। कुंवारी लड़की मां की पूजा करती हैं तो उसे योग्य पति प्राप्त होता है। पुरूष जो ‘महागौरी’ की पूजा करते हैं उनका जीवन सुखमय रहता है। देवी उनके पापों को जला देती हैं और उनके अंत:करण को शुद्ध तथा निर्मल बना देती हैं।
 
देवी की अनुकंपा पाने के लिए-
 
“सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥”