मत्स्य की कहानी क्या है?नारद पुराण में कहा गया है कि राक्षस हयग्रीव (कश्यप और दिति के पुत्र) ने ब्रह्मा के मुख से वेदों को छीन लिया था। तब विष्णु मत्स्य रूप धारण करते हैं और राक्षस को मारकर वेदों को पुनः प्राप्त करते हैं । बताया जा रहा है कि घटना बदरी जंगल की है. कथा में जलप्रलय और मनु को हटा दिया गया है।भगवान का मत्स्य अवतार कब हुआ?सतयुग में भगवान विष्णु का मत्स्य, हयग्रीव, कूर्म, वाराह और नृसिंह अवतार हुआ. इस युग में भगवान विष्णु ने शंखासुर और हिरण्यकशयपु का वध किया.भगवान हयग्रीव कौन है?हयग्रीव, (संस्कृत: हयग्रीव आईएएसटी हयग्रीव, शाब्दिक अर्थ ‘घोड़े की गर्दन वाला’), एक हिंदू देवता, विष्णु का घोड़े के सिर वाला अवतार है।हयग्रीव ने वेदों की चोरी क्यों की?वहाँ हयग्रीव नाम का एक राक्षस रहता था, जो कश्यप और दनु का पुत्र था। वह नहीं चाहता था कि मानव जाति को चार वेदों का लाभ मिले , इसलिए उसने उन्हें ब्रह्मा से चुरा लिया।मत्स्य नारायण और मनुएक बार इस पृथ्वी पर मनु नामक पुरुष हुए। वे भगवान विष्णु के परम भक्त थे। एक बार वे सुबह के समय सूर्यनारायण को अर्घ्य दे रहे थे तभी एक मछली नें उनसे कहा कि आप मुझे अपने कमंडल में रख लो। दया और धर्म के अनुसार इस राजा ने मछली को अपने कमंडल में ले लिया और घर की ओर निकले, घर पहुँचते तक वह मत्स्य उस कमंडल के आकार का हो गया, राजा नें इसे एक पात्र पर रखा परंतु कुछ समय बाद वह मत्स्य उस पात्र के आकार की हो गई। अंत में राजा नें उसे समुद्र में डाला तो उसने पूरे समुद्र को ढँक लिया। उस सुनहरी-रंग मछली ने अपने दिव्य पहचान उजागर की और अपने भक्त को यह सूचित किया कि उस दिवस के ठीक सातवें दिन प्रलय आएगा तत्पश्चात् विश्व का नया श्रृजन होगा वे सत्यव्रत को सभी जड़ी-बूटी, बीज और पशुओं, सप्त ऋषि आदि को इकट्ठा करके प्रभु द्वारा भेजे गए नाव में संचित करने को कहा। प्रलय आए ही मत्स्य रूपी भगवान विष्णु ने नाव को स्वयं खींचकर इस संसार को प्रलय से बचाया थाइन्हें विष्णु जी का पहला अवतार माना जाता है जिन्होंने वैवस्वत मनु को बाढ़ से बचाया था. इस अवतार में विष्णु जी मछली बन कर प्रकटभगवान विष्णु ने मत्स्य रूप सृष्टि के उद्धार और शास्त्रों की रक्षा के लिए धारण किया था।मत्स्य नारायण और हयग्रीवासुर की कथाएक बार सृष्टि रचियेता ब्रह्मा जी ने वेदों का निर्माण किया। ब्रह्मदेव के निद्रामग्न होने के पश्चात् हयग्रीवासुर नाम का एक दैत्य वेदों को चुराकर ले गया जिससे संसार में पाप और अधर्म छा गया। ब्रह्मदेव ने ये बात भगवान विष्णु को बताई। उन्होंने हयग्रीवासुर का वध करने के लिए एक बड़ी मत्स्य का रूप ले लिया और समुद्र में जाकर हयग्रीव के पहरेदारों को मारकर उसके कारागार से वेदों को छुड़ा लिया और हयग्रीवासुर की सेना समेत हयग्रीवासुर को भी मार डाला और वेदों को अपने मुंह में रखकर समुद्र से बाहर आ गए और वेद वापिस ब्रह्मा जी को सौंप दिए।एक बार इस पृथ्वी पर मनु नामक पुरुष हुए। वे भगवान विष्णु के परम भक्त थे। एक बार वे सुबह के समय सूर्यनारायण को अर्घ्य दे रहे थे तभी एक मछली नें उनसे कहा कि आप मुझे अपने कमंडल में रख लो। दया और धर्म के अनुसार इस राजा ने मछली को अपने कमंडल में ले लिया और घर की ओर निकले, घर पहुँचते तक वह मत्स्य उस कमंडल के आकार का हो गया, राजा नें इसे एक पात्र पर रखा परंतु कुछ समय बाद वह मत्स्य उस पात्र के आकार की हो गई। अंत में राजा नें उसे समुद्र में डाला तो उसने पूरे समुद्र को ढँक लिया। उस सुनहरी-रंग मछली ने अपने दिव्य पहचान उजागर की और अपने भक्त को यह सूचित किया कि उस दिवस के ठीक सातवें दिन प्रलय आएगा तत्पश्चात् विश्व का नया श्रृजन होगा वे सत्यव्रत को सभी जड़ी-बूटी, बीज और पशुओं, सप्त ऋषि आदि को इकट्ठा करके प्रभु द्वारा भेजे गए नाव में संचित करने को कहा। प्रलय आए ही मत्स्य रूपी भगवान विष्णु ने नाव को स्वयं खींचकर इस संसार को प्रलय से बचाया था।मत्स्य भारत में कहाँ स्थित है?सही उत्तर राजस्थान है। यह राजस्थान के जयपुर-भरतपुर-अलवर क्षेत्र में स्थित था। उनकी राजधानी विराटनगर में थी जो पांडवों के छिपने के स्थान के रूप में प्रसिद्ध थी।