अष्ट सिद्धियां का उल्लेख मार्कंडेय पुराण तथा ब्रह्मवैवर्तपुराण में प्राप्त होता है।
अणिमा लघिमा गरिमा प्राप्ति: प्राकाम्यंमहिमा तथा।
ईशित्वं च वशित्वंच सर्वकामावशायिता:।।
इन सिद्धियों का नियम होता है, अगर आपने इनका उपयोग अपने लिए किया तो ये समाप्त हो जायेंगी।और एक के बाद एक सिद्धि मिलती है, और जब एक मिल जाती है, तो उसको भूलकर योगमार्ग पर आगे जाना पड़ता है।
1-अणिमा सिद्धि -अपने को सूक्ष्म बना लेने की क्षमता ही अणिमा है।
2-महिमा सिद्धि -अपने को बड़ा एवं विशाल बना लेने की क्षमता।
3-गरिमा -मनुष्य अपने शरीर को जितना चाहे, उतना भारी बना सकता है।
4-लघिमा सिद्धि-स्वयं को हल्का बना लेने की क्षमता।
5-प्राप्ति सिद्धि-कुछ भी निर्माण कर लेने की क्षमता।
6-प्राकाम्य सिद्धि -कोई भी रूप धारण कर लेने की क्षमता।
7-ईशिता सिद्धि-हर सत्ता को जान लेना और उस पर नियंत्रण करना। साधक ईश्वर जैसा हो जाता है।
8-वशिता सिद्धि-जीवन और मृत्यु पर नियंत्रण पा लेने की क्षमता।इस सिद्धि के द्वारा जड़, चेतन, जीव-जन्तु, पदार्थ- प्रकृति, सभी को स्वयं के वश में किया जा सकता है।