हिन्दू धर्म किसी एक व्यक्ति द्वारा प्रवर्तित धर्म नहीं है। इसका एक आधार वेदादि धर्मग्रन्थ हैं, जिनकी संख्या बहुत बड़ी है। ये सब दो भागों में विभक्त हैं-
(१) इस श्रेणी के ग्रन्थ श्रुति कहलाते हैं। ये अपौरुषेय माने जाते हैं। इसमें वेद की चार संहिताओं, ब्राह्मणों, अरण्यकों, उपनिषदों, वेदाङ्ग, सूत्र आदि ग्रन्थों की गणना की जाती है।
(२) इस श्रेणी के ग्रन्थ स्मृति कहलाते हैं। ये ऋषि प्रणीत माने जाते हैं। इस श्रेणी में 18 स्मृतियाँ, 18 पुराण तथा रामायण व महाभारत ये दो इतिहास भी माने जाते हैं।आगम ग्रन्थ भी स्मृति-श्रेणी में माने जाते हैं।
भगवद्गीता तथा ब्रह्मसूत्र, उपनिषदों के साथ मिलकर वेदान्त की ‘प्रस्थानत्रयी’ कहलाते हैं।