पुराण शब्द का अर्थ क्या है?

पुराण शब्द का अर्थ -नवं भवती ।’

अर्थात प्राचीन होकर भी जो नवीन रहता है,

स्कंद पुराण में पुराणों में ‘वेदोंकी आत्मा’ कही गई है। श्रुति एवं स्मृतिके श्चात पुराणो का उच्चारण होता है। धर्मकृत्यके संकल्पमें श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त फलप्राप्त्यर्थं’, ऐसा वाक्य आता है। लौकिक संस्कृत साहित्यमें पुराणोंका सर्वोच्च स्थान है ई. पुराण मनुष्य जीवनमें श्रद्धा, दयाभाव एवं सद्वर्तन का महत्त्व रेखांकित करते हैं । धर्म, अर्थ, काम और मोक्षको इतिहासकी दृष्टिसे देखा है । पुराणोंमें द्वारा प्रतिपादित तत्त्वोंको सरल भाषा में एवं ऐसे कथारूप में बताया है, जिसे मान्य लोग आसानी से समझ सकें। इन कथाओंमें अनेक आध्यात्मिक सिद्धांत हैं। पुराणोंमें अनेक कल्पोंका इतिहास होने से, एक ही कालखंड की कथाओं में मित्रता पाई जाती है, जो कथाएं हैं, वे सत्य हैं कि असत्य ?