भारतीय संगीत

संगीत

भारतीय संगीत का प्रारंभ वैदिक काल से भी पूर्व का है। पंडित शारंगदेव कृत “संगीत रत्नाकर” ग्रंथ मे भारतीय संगीत की परिभाषा “गीतम,वादयम् तथा नृत्यं त्रयम संगीत मुच्यते” कहा गया है।गायन, वाद्य वादन एवम् नृत्य; तीनों कलाओं का समावेश संगीत शब्द में मानागया है।तीनो स्वतंत्र कला होते हुए भी एक दूसरे की पूरक है भारतवर्ष की सारी सभ्यताओं में संगीत का बड़ा महत्व रहा है। धार्मिक एवं सामाजिक परंपराओं में संगीत का प्रचलन प्राचीन काल से रहा है।इस रूप में, संगीत भारतीय संस्कृति की आत्मा मानी जाती है। वैदिक काल में अध्यात्मिक संगीत को मार्गी तथा लोक संगीत को देशी कहा जाता था! कालांतर में यही शास्त्रीय और लोक संगीत के रूप में दिखता है।