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#प्रथमं शैलपुत्री ‘शैलपुत्री’ देवी का पहला रूप हिमालय की अधिष्ठात्री प्रकृति

#प्रथमं शैलपुत्री   ‘शैलपुत्री’ देवी का पहला रूप हिमालय की अधिष्ठात्री प्रकृति   नवरात्र चाहे वासन्तिक हो या शारदीय दोनों में प्रकृति परमेश्वरी के नौ रूपों की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। दुर्गाकवच के अनुसार देवी के नौ रूप हैं- 1.शैलपुत्री,2.ब्रह्मचारिणी, 3.चन्द्रघण्टा, 4. कुष्माण्डा,5. स्कन्दमाता,6.कात्यायनी, 7.कालरात्रि, 8.महागौरी व 9.सिद्धिदात्री

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तृतीयं चन्द्रघण्टेति देवी का तीसरा स्वरूप ‘चन्द्रघंटा’

तृतीयं चन्द्रघण्टेति देवी का तीसरा स्वरूप ‘चन्द्रघंटा’   पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।।”   अर्थात्- व्याघ्रवाहिनी प्रचण्ड कोपवती और शस्त्र-अस्त्र से सुशोभित ‘चन्द्रघंटा’ देवी मुझ पर प्रसन्न हों। नवरात्रि के तीसरे दिन माँ दुर्गा की तृतीय शक्ति चंद्रघंटा का पूजन किया जाता है। माँ का यह स्वरूप भक्तों के लिए अत्यंत शांतिदायक और …

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द्वितीयं ब्रह्मचारिणी

द्वितीयं ब्रह्मचारिणी देवी का दूसरा स्वरूप‘ब्रह्मचारिणी सच्चिदानन्दमयी ब्रह्मस्वरूपा देवी आज नवरात्र के दूसरे दिन देवी के ‘ब्रह्मचारिणी’ रूप की पूजा-अर्चनाकी जा रही है। देवी के इस दूसरे ‘ब्रह्मचारिणी’ स्वरूप को प्रकृति के सच्चिदानन्दमय ब्रह्मस्वरूप के रूप में निरूपित किया जा सकता है। ऋग्वेद के ‘देवीसूक्त’ में अम्भृण ऋषि की पुत्री वाग्देवी ब्रह्मस्वरूपा होकरसमस्त जगत को …

दश महाविद्याएँ

दश महाविद्यायों की उपासना हमारी सनातन संस्कृति का अंग हैं। जिसमें श्री विद्या का विशेष महत्व हैं। श्री विद्या ललिता, राजराजेश्वरी, महात्रिपुरसुन्दरी, पंचदशी और षोडशी के रूप में जाना जाता हैं। प्रसिद्ध दश महाविद्यायों में षोडशी विद्या, श्री विद्या का ही परिणत स्वरूप हैं। दश महाविद्यायों में तीन विद्याएँ प्रधान हैं। काली, तारा और षोडशी …