हलायुध (समय लगभग १० वीं० शताब्दी ई०) भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषविद्, गणितज्ञ और वैज्ञानिक थे। उन्होने मृतसंजीवनी नामक ग्रन्थ की रचना

हलायुध (समय लगभग १० वीं० शताब्दी ई०) भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषविद्, गणितज्ञ और वैज्ञानिक थे। उन्होने मृतसंजीवनी नामक ग्रन्थ की रचना  हलायुध (समय लगभग १० वीं० शताब्दी ई०) भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषविद्, गणितज्ञ और वैज्ञानिक थे। उन्होने मृतसंजीवनी नामक ग्रन्थ की रचना की जो पिंगल के छन्दशास्त्र का भाष्य है। इसमें पास्कल त्रिभुज (मेरु प्रस्तार) …

चरण-स्पर्श, के क्यों करना चाहिए। चरण-स्पर्श के फायदे, चरण-स्पर्श से क्या होता है।

* चरण-स्पर्श, के क्यों करना चाहिए। चरण-स्पर्श के फायदे, चरण-स्पर्श से क्या होता है।चरण-स्पर्श,* अपने से बड़ों का अभिवादन करने के लिए चरण छूने की परंपरा सदियों से रही है. सनातन धर्म में अपने से बड़े के आदर के लिए चरण स्पर्श उत्तम माना गया है. प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर चरण स्पर्श के कई …

स्वस्तिवाचन स्वस्तिवाचन (स्वस्तयन) मन्त्र और अर्थ–स्वस्तिवाचन कैसे करे पूजा में स्वस्तिवाचन

स्वस्तिवाचन स्वस्तिवाचन (स्वस्तयन) मन्त्र और अर्थ– हमारे देश की यह प्राचीन परंपरा रही है कि जब कभी भी हम कोई कार्य प्रारंभ करते है, तो उस समय मंगल की कामना करते है और सबसे पहले मंगल मूर्ति गणेश की प्रार्थना करते है। इसके लिए दो नाम हमारे सामने आते हैं… पहला श्रीगणेश और दूसरा जय गणेश। …

शिवसूत्राणि

शिवसूत्राणि शिवसूत्राणि In response to my article on Morphological Thoughts and अष्टाध्यायी, one दक्षा-महोदया enquired with me whether I have any write-up on माहेश्वरसूत्राणि. I thank दक्षा-महोदया for motivating this write-up.The title above has the word शिवसूत्राणि. Obviously these are different names.Some people contend that they should be called only माहेश्वरसूत्राणि because they are said …

॥ एकश्लोकी भागवतम् ॥ ek sholok bhagwat in Sanskrit

॥ एकश्लोकी भागवतम् ॥ ek sholok bhagwat in Sanskrit आदौ देवकिदेविगर्भजननं गोपीगृहे वर्धनम् मायापूतनजीवितापहरणं गोवर्धनोद्धारणम् । कंसच्छेदनकौरवादिहननं कुंतीसुतां पालनम् एतद्भागवतं पुराणकथितं श्रीकृष्णलीलामृतम् । इति श्रीभागवतसूत्र ॥

जानने योग्य जानकारी

*जानने योग्य जानकारी*शास्त्रो में बांस की लकड़ी जलाना मना है फिर भी लोग अगरबत्ती जलाते है। जो की बांस की बनी होती है। अगरबत्ती जलाने से पितृदोष लगता है।शास्त्रो में पूजन विधान में कही भी अगरबत्ती का उल्लेख नहीं मिलता सब जगह धुप ही लिखा हुआ मिलता है। अगरबत्ती तो केमिकल से बनाई जाती है …

भगवान ‘विष्णु के नाम की महिमा :~

विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने वाले व्यक्ति को* *यश, सुख, ऐश्वर्य, समृद्धि, सफलता, आरोग्य एवं* *सौभाग्य प्राप्त होता है तथा साथ ही मनों की* *प्राप्ति होती है। भगवान विष्णु के 1000 नाम:~* : *”ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:”* *************************** ॐ विश्वं विष्णु: वटकारो भूत-भव्य-भवत-प्रभु:। भूत-कृत भूत-भृत भावो भूतात्मा भूतभावनः।। 1.. पूतात्मा परमात्मा च मुक्तानां परमं गतिः।अव्ययः …

समाधि ये योग के आठ अंग है।

*यमनियमासनप्राणायामप्रत्याहारधारणध्यानसमाधयोsष्टावङ्गानि*१.यम ,२.नियम ,३.आसन ,४. प्राणायाम ,५.प्रत्याहार ,६. धारणा७. ध्यान , और८. समाधि ये योग के आठ अंग है। *अहिंसासत्यास्तेयब्रह्मचर्यापरिग्रहा यमाः ।*अहिंसा, सत्य, अस्तेय (चोरी ना करना), ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह (दान ना लेना) ये पांच यम है। *शौचसन्तोषतपःस्वाध्यायेश्वरप्राणिधानानि नियमाः ।*शौच (पवित्रता), सन्तोष, तप, स्वाध्याय, और इश्वरचिन्तन ये पांच नियम हैं । *स्थिरसुखमासनम् ।*जिससे स्थिरता एवं सुख …

12 ज्योतिर्लिंग

पुराणों के अनुसार शिवजी जहाँ-जहाँ स्वयं प्रगट हुए उन बारह स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंगों के रूप में पूजा जाता है। ये संख्या में १२ है। सौराष्ट्र प्रदेश (काठियावाड़) में श्रीसोमनाथ, श्रीशैल पर श्रीमल्लिकार्जुन, उज्जयिनी (उज्जैन) में श्रीमहाकाल, ॐकारेश्वर अथवा ममलेश्वर, परली में वैद्यनाथ, डाकिनी नामक स्थान में श्रीभीमशंकर, सेतुबंध पर श्री रामेश्वर, दारुकावन में श्रीनागेश्वर, वाराणसी (काशी) में श्री विश्वनाथ, गौतमी (गोदावरी) के तट पर श्री त्र्यम्बकेश्वर, हिमालय पर केदारखंड में श्रीकेदारनाथ और शिवालय में श्रीघृष्णेश्वर।  हिंदुओं में मान्यता …

भारतीय दर्शन शास्त्र

भारतीय दर्शन शास्त्रदर्शन-शास्त्र ही हमें प्रमाण और तर्क के सहारे अन्धकार में दीपज्योति प्रदान करके हमारा मार्ग-दर्शन करने में समर्थ होता है। गीता के अनुसार किं कर्म किमकर्मेति कवयोऽप्यत्र मोहिताः (संसार में करणीय क्या है और अकरणीय क्या है इस विषय में विद्वान भी अच्छी तरह नहीं जान पाते।) परम लक्ष्य एवं पुरुषार्थ की प्राप्ति …