हिन्दू धर्म किसी एक व्यक्ति द्वारा प्रवर्तित धर्म नहीं है। इसका एक आधार वेदादि धर्मग्रन्थ हैं, जिनकी संख्या बहुत बड़ी है। ये सब दो भागों में विभक्त हैं-

हिन्दू धर्म किसी एक व्यक्ति द्वारा प्रवर्तित धर्म नहीं है। इसका एक आधार वेदादि धर्मग्रन्थ हैं, जिनकी संख्या बहुत बड़ी है। ये सब दो भागों में विभक्त हैं-(१) इस श्रेणी के ग्रन्थ श्रुति कहलाते हैं। ये अपौरुषेय माने जाते हैं। इसमें वेद की चार संहिताओं, ब्राह्मणों, अरण्यकों, उपनिषदों, वेदाङ्ग, सूत्र आदि ग्रन्थों की गणना की …

गुरुकुल से आप क्या समझते हैं?

गुरुकुल से आप क्या समझते हैं? ‘गुरुकुल’ का शाब्दिक अर्थ है ‘गुरु का परिवार’ अथवा ‘गुरु का वंश’। परन्तु यह सदियों से भारतवर्ष में शिक्षासंस्था के अर्थ में व्यवहृत होता रहा है। गुरुकुलों के इतिहास में भारत की शिक्षाव्यवस्था और ज्ञानविज्ञान की रक्षा का इतिहास समाहित है ऐसे विद्यालय जहाँ विद्यार्थी अपने परिवार से दूर गुरु के परिवार का …

श्रीसूक्तं Shri Suktam ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम्।चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह ||1|| अर्थ – हे सर्वज्ञ अग्निदेव ! सुवर्ण के रंग वाली, सोने और चाँदी के हार पहनने वाली, चन्द्रमा के समान प्रसन्नकांति, स्वर्णमयी लक्ष्मीदेवी को मेरे लिये आवाहन करो। तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्।यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम् ॥2॥ अर्थ – …

What are the 18 types of Puran?

What are the 18 types of Puran? Mahapuranas Brāhma: Brahma Purana, Padma Purana Śaiva: Shiva Purana, Linga Purana Vaiṣṇava: Vishnu Purana, Bhagavata Purana, Skanda Purana, Varaha Purana, Nāradeya Purana, Garuda Purana, Vayu Purana, Varaha Purana, Matsya Purana, Bhavishya Purana, Vāmana Purana, Kūrma Purana, Mārkandeya Purana, Brahmānda Purana 18 PURAN

पूजा में प्रयोग होने वाले कुछ शब्द और उनके अर्थ

पूजा में प्रयोग होने वाले कुछ शब्द और उनके अर्थ। 1. पंचोपचार – गन्ध , पुष्प , धूप , दीप तथा नैवैध्य द्वारा पूजन करने को ‘पंचोपचार’ कहते हैं | 2. पंचामृत – दूध , दही , घृत , मधु { शहद ] तथा शक्कर इनके मिश्रण को ‘पंचामृत’ कहते हैं | 3. पंचगव्य – …

पुराण शब्द का अर्थ क्या है?

पुराण शब्द का अर्थ -नवं भवती ।’ अर्थात प्राचीन होकर भी जो नवीन रहता है, स्कंद पुराण में पुराणों में ‘वेदोंकी आत्मा’ कही गई है। श्रुति एवं स्मृतिके श्चात पुराणो का उच्चारण होता है। धर्मकृत्यके संकल्पमें श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त फलप्राप्त्यर्थं’, ऐसा वाक्य आता है। लौकिक संस्कृत साहित्यमें पुराणोंका सर्वोच्च स्थान है ई. पुराण मनुष्य जीवनमें श्रद्धा, दयाभाव …

अष्ट सिद्धियां का उल्लेख मार्कंडेय पुराण तथा ब्रह्मवैवर्तपुराण में प्राप्त होता है।

अष्ट सिद्धियां का उल्लेख मार्कंडेय पुराण तथा ब्रह्मवैवर्तपुराण में प्राप्त होता है। अणिमा लघिमा गरिमा प्राप्ति: प्राकाम्यंमहिमा तथा। ईशित्वं च वशित्वंच  सर्वकामावशायिता:।। इन सिद्धियों का नियम होता है, अगर आपने इनका उपयोग अपने लिए किया तो ये समाप्त हो जायेंगी।और एक के बाद एक सिद्धि मिलती है, और जब एक मिल जाती है, तो उसको …

सीताया कृतं अग्निस्तोत्रम् सीता उवाच

सीताया कृतं अग्निस्तोत्रम् सीता उवाच -उपतस्थे महायोगं सर्वदोषविनाशनम् ।कृताञ्जली रामपत्नी साक्षात्पतिमिवाच्युतम् ॥ १॥ नमस्यामि महायोगं कृतान्तं गहनं परम् ।दाहकं सर्वभूतानामीशानं कालरूपिणम् ॥ २॥ नमस्ये पावकं देवं शाश्वतं विश्वतोमुखम् ।योगिनं कृत्तिवसनं भूतेशं परमम्पदम् ॥ ३॥ आत्मानं दीप्तवपुषं सर्वभूतहृदि स्थितम् ।तं प्रपद्ये जगन्मूर्त्तिं प्रभवं सर्वतेजसाम् ।महायोगेश्वरं वह्निमादित्यं परमेष्ठिनम्। ४॥ प्रपद्ये शरणं रुद्रं महाग्रासं त्रिशूलिनम् ।कालाग्निं योगिनामीशं भोगमोक्षफलप्रदम् …

मत्स्य की कहानी क्या है

मत्स्य की कहानी क्या है?नारद पुराण में कहा गया है कि राक्षस हयग्रीव (कश्यप और दिति के पुत्र) ने ब्रह्मा के मुख से वेदों को छीन लिया था। तब विष्णु मत्स्य रूप धारण करते हैं और राक्षस को मारकर वेदों को पुनः प्राप्त करते हैं । बताया जा रहा है कि घटना बदरी जंगल की …

गोस्वामी तुलसीदास (1511 – 1623) हिन्दी साहित्य के महान सन्त कवि थे।

गोस्वामी तुलसीदास (1511 – 1623) हिन्दी साहित्य के महान सन्त कवि थे। रामचरितमानस इनका गौरव ग्रन्थ है। इन्हें आदि काव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है।तुलसीदास जी ने श्रीरामचरितमानस की रचना प्रारम्भ की। दो वर्ष, सात महीने और छ्ब्बीस दिन में यह अद्भुत ग्रन्थ सम्पन्न हुआ।भगवान श्री राम जी से …